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रूपरेखा : परिचय - श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार - यमुना में उमड़ता तूफान - श्री कृष्ण का पालन-पोषण - गोकुल का दृश्य - राधा-कृष्ण का आलौकिक प्रेम - मथुरा में प्रवेश - कंस की मौत - निष्कर्ष।
परिचय
भगवान श्री कृष्ण की लीला अपरम्पार है। सोलह कलाओं में निपुण है भगवान् श्री कृष्ण। सभी देवताओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है भगवान् श्री कृष्ण को तथा उनकी लीला का कोई वर्णन नहीं। यहाँ तक की उन्होंने जन्म ही लीलाओं के साथ लिया था। भगवान् श्री विष्णु के दस अवतार थे। मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, गौतम बुध्द और कल्कि, यह सभी भगवान् श्री विष्णु के दस अवतार थे। श्री विष्णु के दस अवतारो में से आँठवा अवतार भगवान् श्री कृष्ण के रूप में लिए थे । सभी अवतारों में श्री कृष्ण की अवतार सबको मोह लिया जहाँ उन्होंने ने जन्म से ही अपनी लीला का दृश्य से सभी भक्तो का जीवन सफल कर दिया था।
श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार
श्री हरि विष्णु के दस अवतार थे, मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, गौतम बुध्द और कल्कि, यह सभी भगवान् श्री विष्णु के दस अवतार थे। कहा जाता था की जब कंस का दुश्ट्ता मानव लोक में बढ़ने लगी तभी भगवान् हरी विष्णु को मानव लोक में श्री कृष्ण बन कर जन्म लेना पड़ा। श्री कृष्ण के जन्म लेते ही कंस उन्हें मृत्यु देने के लिए तड़पता रहा जिसके चलते कंस ने कई अपने दानव को प्रकट किया लेकिन अंत में श्री कृष्ण के लीला से सभी लोग आस्चर्यचकित रह गए।
यमुना में उमड़ता तूफान
कंस की दुश्ट्ता धरती पर बढ़ती जा रही है। सभी लोक उसके प्रकोप से डरते थे। कोई कंस के खिलाफ जाता उनसे वह मृत्यु दंड दे देता जिससे वहाँ के लोग जीते जी मरने की अवस्था में थे। तभी कंस की बहन की शादी हुए और वह अपने बहन को बिदाई देने वह स्वंय गया। कुछ ही दुरी जाने के बाद आकाश में आकाशवाणी हुई जिसमे कंस के मौत की भविष्यवाणी हुई थी की उसका पापों का घड़ा भर चूका है अब उसकी मौत जल्द ही होनेवाली है। उसकी बहन देवकी की आंठवी संतान ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। जिसे सुन कंस खबरा गया और उसने अपनी ही बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को कारागार में डाल दिया था। जब श्री कृष्ण का जन्म का समय हुआ तब मथुरा में तेज बारिश शुरू हो गयी थी। वासुदेव जी उसी तेज कड़कती बिजली और बारिश में प्रभु को मथुरा से गोकुल अपने मित्र नंद के पास लेकर चल दिए ताकि वे श्री कृष्ण की जान बचा सके । और मित्र नंद के घर एक पुत्री की जन्म हुए थी वह पुत्री को अपने संग मथुरा ले आए। यमुना में तूफान अपने चरम पर था, पर जैसे ही प्रभु के चरणों का स्पर्श किया, यमुना भी भगवान का आशीर्वाद पाकर कृतार्थ हो गयी और बाबा वासुदेव को जाने का रास्ता दे दिया। इस तरह जन्म लेते ही भगवान् श्री कृष्ण ने अपना पहला लीला दिखा दिए। जैसे ही वासुदेव श्री कृष्ण को गोकुल छोड़ मथुरा पहुंचते है, सब सैनिकों को होश आ जाता है, और कंस को खबर मिलती है कि देवकी को आठवें पुत्र की प्राप्ति हो चुकी है। कंस जैसे ही बच्ची को मारने के लिए हवा में उछालता है, माया ऊपर आकाश में उड़ जाती है। और कहती है कि तुझे मारने वाला इस धरती पर आ चुका है। इतना कहते ही वो आकाश में ही विलीन हो जाती है। इस तरह श्री कृष्ण जी का जन्म होता है।
श्री कृष्ण का पालन-पोषण
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में कारागार में हुआ था। श्री कृष्ण स्वभाव से बहुत ही चंचल थे और सभी देवों में सबसे सुंदर माने जाते हैं। इनका रंग मेघश्यामल है और इनमें से हमेशा एक मनमोहक गंध आती है। श्रीकृष्ण जी के 108 नाम है जैसे माधव, कान्हा, आदि कई अन्य नाम से भक्त उन्हें पुकारतेँ है। हमेशा पीले वस्त्र पहनने के कारण इन्हें पीतांबर के नाम से भी जाना जाता है। इनके सिर पर एक मुकुट विराजता है जिसमें मोर का पंख लगा होता है। इनकी बांसुरी की धुन सुन कर सभी मुग्ध हो जाते हैं। श्री कृष्ण का पालन-पोषण एक ग्वाल परिवार में हुआ था और वह अपना समय गोपियों के साथ खेलने, उन्हें सताने, परेशान करने, बाँसुरी बजाने आदि में बिताते थे । उनका भोला और सुंदर रुप देखकर हर कोई पिघल जाता था। छोटी सी आयु से ही वह कई लीला दिखाए जैसे गोवर्धन पर्वत को एक ऊँगली में उठा कर पुरे गोकुल वासियों की रक्षा करना आदि कई अनेक लीला दिखाकर वह सबके दिलो को मोह लेते थे।
गोकुल का दृश्य
श्री कृष्ण जैसे-जैसे बड़े होते गए वैसे ही गोपियों संग मस्ती बढ़ती गयी। जब भी वह घर से निकलते गोकुल की सभी गोपियाँ उनकी एक झलक देखने के लिए तरसने लगते थे। ये देख गोकुल का दृश्य अद्भुत होता था। भगवान श्रीकृष्ण जी रासलीला और मक्खन चुराने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। गोकुल में सभी घर में जा कर वे चोरी-छिपे माखन खाते और साथ ही पुरे घर में माखन की नदिया बिखेर देते।वे अपना बचपन अपने सखा और गैयों के साथ बिताते थे। उन्हें गाय बहुत प्रिय लगते थे। हर शाम वो उद्यान चले जाते गैयों से मिलने। उन्हें अपने सखा से बड़ा प्रेम था उनके साथ खेलना उन्हें बड़ा आनंद लगता। उनके बचपन के किस्से बड़ा ही अद्भुत और मनमोहक है जिसे सुन के ह्रदय रोम-रोम उठ जाता।
राधा-कृष्ण का आलौकिक प्रेम
राधा और कृष्ण का जुड़ाव अत्यंत दिव्य और आलौकिक था, जो हमारी संस्कृति में बहुत सम्मानित है। श्री कृष्ण की राधा देवी लक्ष्मी की अवतार थीं। राधा-कृष्ण वृंदावन में रास करते थे तथा वृंदावन की सोभा अपने रास से मनमोहित करते थे। कहते है आज भी वृंदावन के निधी वन में उनकी उपस्थिति महसूस करते है। कोई भी कृष्ण के दिव्य आकर्षण और अनुग्रह से बचना नहीं चाहते थे। ऐसा कहा जाता है कि एक चांदनी रात में, श्रीकृष्ण ने अपने सभी गोपियो संग के साथ नृत्य करने के लिए अपने शरीर को कई गुणा कर लिया था। यह वास्तविकता और भ्रम के बीच का अद्भुत चित्रण है। श्री कृष्ण का लीला का कोई वर्णन ही नहीं, उनकी लीला अपरम्पार है।
मथुरा में प्रवेश
अंत:काल जब श्रीकृष्ण अपने कंस मामा को मारने मथुरा आए तभी मथुरा के लोगो के अंदर विजय की उत्साह उत्पन्न हुए। उन्हें ऐसा लगा की अब उन्हें कंस के अत्याचारों से मुक्त होने का समय आ गया। वे अधिक प्रसंन्न हो उठे थे, चारों तरफ श्रीकृष्ण की जय-जयकार गूंज रही थी। सभी लोग श्रीकृष्ण पर फूल बरसाने लगे तथा उनके चरणों की मिटटी को अपने मस्तक में लगा लिए। वही दूसरीं और कंस अपने भांजे श्रीकृष्ण और उनके संग आये उनके बड़े भैया बलराम को मारने का सर्यंत्र रच रहे थे।
कंस की मौत
कंस का मारने का हर तरीका असफल जा रहा था। श्रीकृष्ण अपने बुद्धि तथा शक्तियों से कंस की हर चाल को असफल कर देते। अंत में श्रीकृष्ण में कंस का वध कर के मथुरा के लोगों को कंस के अत्याचारों से मुक्त कर दिया। और इसतरह मायवीर कंस का वध किया गया और मथुरा को कंस मुक्त कर दिया। कंस का वध करने के बाद भगवान् श्रीकृष्ण कारागार जा कर अपने माँ देवकी और पिता वासुदेव को कई वर्षो से रहे कारागार से मुक्त किया साथ ही अपने नाना उग्रसेन जी को भी मुक्त कर दिया जिन्हे उन्ही के बेटे कंस ने कारागार में बंधी बना दिया था।
निष्कर्ष
इसप्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने पृथ्वी लोक पर जन्म लेकर मायवीर कंस का वध किया तथा अपने लीला से पृथ्वी लोक का जीवन सफल बना दिया। पृथ्वी लोक में पापों का अंत करने के लिए ही भगवान् हरी विष्णु ने श्री कृष्ण बनकर अवतार लिए। श्रीकृष्ण का जन्म ही पुरे विश्व में धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। श्रीकृष्ण ने जिस दिन मानव रूप में जन्म लिया था उस दिन पृथ्वी लोक में हर वर्ष जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। आज भारत के साथ पुरे विश्व में श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है।
हरे रामा हरे रामा, हरे कृष्णा हरे कृष्णा।ADVERTISEMENT